मृत्यु के पश्चात मनुष्य के साथ मनुष्य की पाँच वस्तुएँ साथ जाती हैं...
1- (कामना ) यदि मृत्य के समय हमारे मन मे किसी वस्तु विशेष के प्रति कोई आसक्ति शेष रह जाती है। कोई इक्षा अधूरी रह जाती है। कोई अपूर्ण कामना रह जाती है। तो मरणोपरांत भी वही कामना उस जीवात्मा के साथ जाती है।
2- (वासना) वासना कामना की ही साथी है। वासना का अर्थ केवल शारिरिक भोग से नही अपितु इस संसार मे भोगे हुए हर उस सुख से है। जो उस जीवात्मा को आनन्दित करता है। फिर वो घर हो, पैसा हो, गाड़ी हो, रूतबा हो, या शौर्य। मृत्यु के बाद भी ये अधूरी वासनाएं मनुष्य के साथ ही जाती हैं। और मोक्ष प्राप्ति में बाधक होती है।
3- (कर्म) मृत्यु के बाद हमारे द्वारा किये गए कर्म चाहे वो सुकर्म हो अथवा कुकर्म हमारे साथ ही जाता है। मरणोपरांत जीवात्मा अपने द्वारा किये गए कर्मो की पूँजी भी साथ ले जाता है। जिस के हिसाब किताब द्वारा उस जीवात्मा का यानी हमारा अगला जन्म निर्धारित किया जाता है।
4- (कर्ज़) यदि हमने आपने मनुष्य जीवन मे कभी भी किसी प्रकार का ऋण लिया हो, तो उस ऋण को यथासम्भव उतार देना चाहिए। ताकि मरणोपरांत इसलोक से उस ऋण को उसलोक में अपने साथ न ले जाना पड़े।
5- (पुण्य) हमारे द्वारा किये गए दान-दक्षिणा व परमार्थ के कार्य ही हमारे पुण्यों की पूंजी होती है। इसलिए हमें समय-समय पर अपने सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा एवं परमार्थ और परोपकार अवश्य ही करने चाहिए।
इन्ही पांचों वस्तुओं से ही मनुष्य को इस मृत्युलोक को छोड़ कर परलोक जाने पर उस लोक अथवा अगले जन्म की प्रक्रिया का चयन किया जाता है..!!

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