Sunday, 7 June 2020

बोधकथा - संत का जवाब


⚜️बोधकथा - संत का जवाब⚜️

    बहुत पुरानी कथा है। एक व्यक्ति था, जो अक्सर धर्मग्रंथों का मजाक उड़ाया करता था।
वह विचार से नास्तिक था पर वह ईश्वर में विश्वास करने वालों का सम्मान नहीं करता था।

एक दिन वह एक संत के पास पहुंचा।
उसका मकसद संत की खिंचाई करना था।

उसने संत से पूछा- अगर मैं खजूर खाऊं तो क्या मुझे पाप लगेगा?
 संत ने सहजता से कहा-नहीं।
 उस व्यक्ति ने फिर पूछा-और अगर मैं खजूर के साथ थोड़ा पानी मिला लूं तो क्या मुझे पाप लगेगा?

   संतजी ने उसी तरह कहा- इससे भी कोई अंतर नहीं पड़ेगा।
उस शख्स ने फिर अगला सवाल पेश किया- और महोदय, यदि मैं उस खजूर में पानी के साथ थोड़ा खमीर मिला लूं तो क्या यह धार्मिक दृष्टि से गलत होगा?

 संत महाराज ने उसकी मंशा ताड़ ली पर उन्होंने बिना झुंझलाए कहा- बिल्कुल नहीं। उस पर उस व्यक्ति ने दलील दी- फिर धर्मग्रंथों में शराब पीना पाप क्यों बताया गया है,जबकि शराब इन्हीं तीनों से मिलकर बनती है।


  संत ने इसका जवाब देने की बजाय उससे प्रश्न किया-
 अगर मैं तुम पर मुट्ठी भर धूल फेंकू तो क्या तुम्हें चोट लगेगी।

 इस पर उस व्यक्ति ने कहा- नहीं तो।

संत ने कहा- और अगर मैं धूल में थोड़ा पानी मिलाकर फेंकू तो क्या तुम्हें चोट लगेगी?
उस व्यक्ति ने सिर हिलाकर कहा-नहीं।

संत ने मुस्कराते हुए फिर पूछा- और अगर मैं उस मिट्टी और पानी में कुछ पत्थर मिलाकर तुम्हारे ऊपर फेंकू तो क्या होगा? चोट लगेगी कि नहीं।
यह सवाल सुनकर वह थोड़ा घबराया।
उसने कुछ सोचकर कहा- आप चोट लगने की बात कर रहे हैं, मेरा तो सिर ही फूट जाएगा।

 संत ने कहा- मुझे विश्वास है कि तुम्हें अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा।

वह व्यक्ति शर्मिंदा हो गया।
 उसने अपने व्यवहार के लिए संत महाराज से क्षमा मांगी।

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